काशी के इतिहास में पहली बार हुआ ऐसा: 29 शैव, 5 शाक्त और 4 वैष्णव मंदिर में हुआ पूजन; भक्त बोले- हर हर महादेव
देवान्भावयतानेन ते देवाभावयन्तु वः, परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ।। यानी यज्ञ के द्वारा देवताओं को उन्नत करो और वे देवता तुम लोगों को उन्नत करें।
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